बर्तन और सजावट

बर्तन और सजावट

हम सभी अपने आप को स्वस्थ और प्रसन्न रखना चाहते हैं, इसलिए हम विभिन्न प्रकार से स्वास्थ्य्वर्धक भोजन का सेवन भी करते हैं। परंतु आपके स्वास्थ्य पर आपके भोजन का ही नहीं अपितु आप किस धातु के बर्तन में बना खाना खा रहे हैं, इसका भी असर पड़ता है।

बर्तनों की श्रेणी में एल्युमिनियम भी काफी प्रसिद्ध है। आज भी कई घरों में इस धातु के बर्तन मिल जाते हैं। एल्यूमिनियम बॉक्साइट का बना होता है, इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है।

एल्यूमिनियम के बर्तन के नुकसान

⦁ आयुर्वेद के अनुसार ये आयरन और कैल्शियम को सोखते हैं।
⦁ खाना पकाने के दौरान, ये एल्युमिनियम आदि का उत्सर्जन करते हैं, जो भोजन को दूषित करते हैं और अंततः शरीर तक पहुंचते हैं, जहां वे कई बीमारियां पैदा करते हैं।
⦁ एल्यूमिनियम से बने पात्र में भोजन करने से हड्डियां कमजोर होती हैं, मानसिक बीमारियां होती हैं, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है, साथ ही किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं।
⦁ एल्यूमिनियम के प्रेशर कुकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
⦁ coated या नॉन-स्टिक पैन आपकी त्वचा के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

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आप स्वयं देखें

आप एल्युमीनियम के बर्तन को खरीदते समय और कुछ वर्षों के बाद उसका वजन भी देख सकते हैं, आपको एक उल्लेखनीय अंतर दिखाई देने की संभावना है। जो वज़न उसका कम हुआ है वह आपके भोजन के माध्यम से आपके शरीर के अंदर पहुँच चुका है और आपके शरीर को नुकसान पहुँचा रहा है।

गाय और भैंस की हड्डियों से बनी क्रॉकरी में पीते हैं आप चाय!

⦁ ऐसे बर्तन आज कल हर घर में देखे जा सकते है, इस तरह की खास क्राकरी जो सफेद, पतली और अच्छी कलाकारी से बनाई जाती है, बोन चाइना कहलाती है।
⦁ इस पर लिखे शब्द बोन का वास्तव में सम्बंध बोन (हड्डी) से ही है।
⦁ इसका मतलब यह है कि आप किसी गाय या बैल की हड्डियों की सहायता से खा-पी रही है।
⦁ बोन चाइना एक खास तरीके का पॉर्सिलेन है जिसे ब्रिटेन में विकसित किया गया।
⦁ इस उत्पाद का बनाने में बैल की हड्डी का प्रयोग मुख्य तौर पर किया जाता है।

आइए देखते हैं यह कैसे बनता है:-

⦁ इसके उत्पादन के लिए सैकड़ों टन हड्डियों की जरुरत होती है, जिन्हें कसाईखानों से जुटाया जाता है।
⦁ इसके बाद इन्हें उबाला जाता है, साफ किया जाता है और खुले में जलाकर इसकी राख प्राप्त की जाती है। बिना इस राख के चाइना कभी भी बोन चाइना नहीं कहलाता है।
⦁ शेष बची हुई हड्डी को १००० सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इसमें उपस्थित सारा कार्बनिक पदार्थ जल जाता है।
⦁ इसके बाद इसमें पानी और अन्य आवश्यक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट और अन्य क्राकरी बना ली जाती है और गर्म किया जाता है।

आइए देखते हैं यह कैसे बनता है:-

⦁ इसके उत्पादन के लिए सैकड़ों टन हड्डियों की जरुरत होती है, जिन्हें कसाईखानों से जुटाया जाता है।
⦁ इसके बाद इन्हें उबाला जाता है, साफ किया जाता है और खुले में जलाकर इसकी राख प्राप्त की जाती है। बिना इस राख के चाइना कभी भी बोन चाइना नहीं कहलाता है।
⦁ शेष बची हुई हड्डी को १००० सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इसमें उपस्थित सारा कार्बनिक पदार्थ जल जाता है।
⦁ इसके बाद इसमें पानी और अन्य आवश्यक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट और अन्य क्राकरी बना ली जाती है और गर्म किया जाता है।

आधुनिक बर्तन

आप स्वयं देखें!

बेकिंग सोडा परीक्षण धातुओं व रसायनों की विषाक्तता और लीचिंग की जांच करने के लिए एक आसान घरेलू परीक्षण है।
आप अपने बर्तनों की जांच के लिए घर पर ही क्षारीय बेकिंग सोडा परीक्षण कर सकते हैं:

⦁ किसी बर्तन में 1 गिलास पानी उबाल लें, जब उसमें उबाल आ जाए तो उसमें 1/2 छोटी चम्मच बेकिंग सोडा डाल दें। 5-7 मिनट और उबालें। आँच बंद कर दें।
⦁ स्वाद के लिए पर्याप्त ठंडा होने तक प्रतीक्षा करें और फिर पानी का स्वाद लें (एक घूंट लें)। यदि आप धातुओं का स्वाद लेते हैं, तो आप यही खा रहे हैं! यदि पानी में रबर/पेंट का स्वाद है तो यह इनेमल/शीशाक के रसायन हैं।
⦁ एक नियंत्रण के रूप में, 1/2 छोटी चम्मच बेकिंग सोडा को 1 गिलास पानी में डालकर एक घूंट पीजिए – आप सिर्फ बेकिंग सोडा का स्वाद लेंगे। एमईसी में करने पर पानी का स्वाद कांच के कप में पानी के स्वाद जैसा होगा।

बेकिंग सोडा पीएच स्केल (क्षारीय) पर उच्च होता है, जिसका पीएच मान 8 होता है। हमारे द्वारा खाए जाने वाले अधिकांश खाद्य पदार्थ क्षारीय होते हैं – एक आदर्श आहार को कम से कम 80% क्षारीय कहा जाता है। यदि बेकिंग सोडा पकाते समय आपका बर्तन लीक हो जाता है, दुर्भाग्य से, यह आपके द्वारा पकाए जाने वाले अधिकांश भोजन के साथ भी ऐसा ही करता है!

मिट्टी के बर्तन के लाभ

⦁ जो वस्तु माँ प्रकृति से जुड़ी हो, वो अपने आप में ही लाभदायक होती है।
⦁ मिट्टी के बर्तन छिद्रपूर्ण प्रकृति के होते हैं जिससे नमी और गर्मी पूरे भोजन में प्रसारित हो जाती है, इस प्रकार पोषण स्तर को बनाए रखते हैं। धातु के बर्तनों में, यह नहीं हो पाता है।
⦁ चूंकि मिट्टी क्षारीय होती है, यह भोजन में अम्लता को निष्क्रिय कर देती है, जिससे भोजन को पचाना आसान हो जाता है।
⦁ कहा जाता है कि मिट्टी के बर्तन खाने में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम और सल्फर जैसे कई जरूरी पोषक तत्व मिलाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
⦁ मिट्टी के बर्तन में पकाने के बाद आपके भोजन में जो सुगंध होगी, वह अपराजेय है।
⦁ मिट्टी के बर्तन सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं।
⦁ यदि आप अपने भोजन को कम तेल में बनाना चाहते हैं, तो मिट्टी के बर्तन सबसे अच्छे विकल्पों में से एक हैं क्योंकि उन्हें खाना पकाने के लिए बहुत कम तेल की आवश्यकता होती है।

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इनसे भी मिलिए

दिशा तनेजा

दिशा तनेजा जी का कहना है कि “मैंने मिट्टी के बर्तन बनाना सीखा, मैंने तीन चम्मच और तीन मटके बनाए, जो कि मैं खाना बनाते समय इस्तेमाल करती हूँ। मैं अपने अंदर सकारात्मक स्वास्थ्य लाभ महसूस करती हूँ। अब मुझे थका हुआ एहसास नहीं होता है।”

अंजली देशमुख

अंजली देशमुख, शहर में रहने वाली एक कुम्हार, अपने बच्चों को मिट्टी के बर्तन बनाना सिखाती हैं। वह कहती हैं, “मेरे पास ५५ विद्यार्थी हैं, जिनमें से ३० छात्र अपने घर में स्वयं से बनाए हुए मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते हैं।”

रिंकी कुमारी

फोर्टिस अस्पताल बैंगलोर की मुख्य आहार विशेषज्ञ रिंकी कुमारी कहती हैं – “खाना बनाते समय मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है क्योंकि शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए इसके कई लाभ हैं”।

सावधान!

यदि आप मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना चाहते हैं तो केवल unglazed और शुद्ध मिट्टी के बर्तनों का ही उपयोग करें।

lET'S LISTEN TWO POETS

The earthen pot

The earthen pot in made of clay.
It serves its people in every way.
The earthen pot reflects its own authentic and sophisticated culture,
By providing water from a city to a village everyone it nurtures.
The expensive metal bottles may dent and rust,
But the earthen pot stays forever the same and gains peoples’ trust.
The earthen pot is like a vale profound,
Illustrating the deep clam voice of waters’ sound.

Earthen pot rests on earth
The place earthen pot rests is also earth
The maker of earthen pot the potter
Is also a product of earth
The potter’s wheel is also
The ingredients from which the pot
Are made are also earth
Earth is everything and also
Everything is earth
Earth is the original cause
And You are the origin of earth
My dear, come on and come on
You are welcome to this earth
Though You are the cause of the earth.

पुराने जमाने में, भारतीय रसोई में मिट्टी के बर्तन ही होते थे। पानी के भंडारण से लेकर खाना पकाने तक, महिलाओं ने इसे एक ही बर्तन या ‘हांडी’ से प्रबंधित किया, जैसा कि ग्रामीण भारत में कहा जाता है। अब, फैंसी आधुनिक और महंगे खाना पकाने के बर्तनों की उपलब्धता के बावजूद, ऐसा लगता है कि यह वापस जाने का समय है….

रुको, अब लौट चलें