प्रसाधन सामग्री
प्रसाधन सामग्री
हम सभी सुंदर दिखना चाहते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि क्या हमारा सौंदर्य किसी के जीवन, प्राण से भी अधिक मूल्यवान है। सौंदर्य उत्पादों के लिए रासायनिक परीक्षण के कारण हर साल 10 करोड़ से अधिक जानवरों की भयानक तरीके से मृत्यु हो जाती है। ज़रा सोचिए उनकी वेदनाओं के बारे में, उनके परिवार के दर्द को महसूस करके देखिए, उनकी कराहने, चिल्लाने की आवाज़ को ज़रा अपने कानों तक पहुँचने दीजिए…
एक महिला के पास सबसे बड़ा सौंदर्य उसका दयालु उदार दिल हो सकता है। जब आपका दिल चमकता है, तो आपका चेहरा चमकता है।
“Beauty is not in the face; Beauty is a light in the heart”
तो आइए प्रसाधन सामग्री के अंदर जाकर देखते हैं एक झलक उन मासूम जानवरों के हाल की….
परफ्यूम की गंध में छुपी है हिरण की तड़प...
⦁ परफ्यूम के लिए कस्तूरी की आवश्यकता होती है। कस्तूरी हिरण और ऊदबिलाव जैसे जानवरों के निजी अंगों के पास “एक ग्रंथि से दर्दनाक रूप से कुरेदकर प्राप्त किया जाता है।”
⦁ इसके लिए एक वन बिलाव को छोटे से पिंजरे में ठूंस दिया जाता है। पिंजरा इतना छोटा है कि बिलाव उसमें अपना सिर भी नहीं उठा पाता।
⦁ हर दस दिन में उस पर कोड़े बरसाए जाते हैं, क्योंकि इसी तकलीफ में उसके शरीर से कस्तूरी रिसती है। जो उसके शरीर से लगे पाउच में जमा होती है। फिर उसके शरीर में लगे इस पाउच को फाड़कर कस्तूरी निकाली जाती है। ऐसा हर दस दिन में तब तक होता है जब तक वो जानवर मर नहीं जाता। वो अपनी औसत उम्र की एक चौथाई जिंदगी ही जी पाता है।
⦁ आप सोचिए कि सिर्फ़ आपकी एक गंध के लिए कई जानवरों को मार दिया जाता है।



आपके सुंदर बाल, खरगोश की रोशनी कुर्बान!
⦁ आप अपने बालों के लिए जो शैम्पू प्रयोग करते हैं, उसका परीक्षण खरगोश पर होता है।
⦁ एक खरगोश का सिर एक खांचे में बांध दिया जाता है, जिससे उसकी आंख निकल आती है। उसके ऊपर शैम्पू की बूंदें गिरती रहती हैं।
⦁ तकलीफ में खरगोश जोर-जोर से चिल्लाता है। वो खांचे से निकलने की कोशिश में ताकत लगाता है।
⦁ हर साल शैम्पू के कारोबार के लिए करीब एक लाख खरगोश अपनी आंखें गंवा देते हैं।
⦁ केश सौंदर्य प्रसाधन में कैरेटिन(Keratin) का भी प्रयोग होता है। यह विभिन्न जानवरों के सींगों, खुरों, पंखों और बालों से निकलने वाला प्रोटीन है।

सामन्यतया सभी सौंदर्य प्रसाधनों के लिए जानवरों पर हो रही क्रूरता(परीक्षण)
साबुन में जानवरों की चर्बी!!
⦁ कई साबुनों में टैलो (Tallow) पाया जाता है जो कि भेड़ और गायों की चर्बी से बनता है।
⦁ सर्वोत्तम डाइजेस्ट (हिन्दी रीडर) मार्च-अप्रेल 1991 के संस्करण में एक पाठक का प्रश्न, साबुन के रैपर पर T.F.M. का प्रतिशत लिखा होता है। इसका क्या मतलब होता है? सम्पादक महोदय ने उत्तर लिखा कि वह टोटल फैटी मेटर का प्रतिशत है। साबुन में कितने प्रतिशत चर्बी डाली गई है, इसका यह मतलब है।



नेल पॉलिश का रहस्य....
⦁ इसे बनाने के लिए गुआनिन(Guanine) का प्रयोग किया जाता है। हो सकता है कि आपकी नेल पॉलिश की बोतल पर गुआनिन ‘Pearl essence’ के नाम से लिखा हो। लेकिन गुआनिन वास्तव में केवल मछली के सेहरा (scales) से प्राप्त होता है।
⦁ वर्तमान में किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि नेल पॉलिश लगाने के दो घंटे बाद ही नेल पॉलिश में उपस्थित रासायन खून में प्रवेश कर सकते हैं।
⦁ नेल पॉलिश लगाने के बाद शरीर कुछ रासायन जैसे फॉर्मेल्डिहाइड(Formaldehyde) टीपीएचपी क्यूटिकल(TPHP – एक रासायनिक ज़हर) अधिक तीव्रता से सोख लेता है।
⦁ विशेषज्ञ बताते हैं कि इन केमिकल्स के कारण इनफर्टिलिटी, हार्मोन्स से संबंधित कैंसर जैसे ब्रेस्ट, ओवेरियन, प्रोस्टेट तथा थाईराइड से संबंधित बीमारियाँ, मस्तिष्क की बीमारियाँ, डाइबिटीज और मोटापा आदि की संभावना बढ़ जाती है।
कहीं आप अपनी होठों पर खून तो नहीं लगा रहे?
⦁ लिपिस्टिक बनाने में एक लाल रंगद्रव्य कारमाइन(Carmine) का प्रयोग होता है जो कि मादा कोचीनल बीटल को कुचलने से बनता है। और यह एक पाउंड लाल रंग बनाने के लिए 70,000 मृत कीड़े लगते हैं।
⦁ लिपस्टिक बनाने के लिए गुआनिन(Guanine) का प्रयोग भी किया जाता है। हो सकता है कि आपकी नेल पॉलिश की बोतल पर गुआनिन ‘Pearl essence’ के नाम से लिखा हो। लेकिन गुआनिन वास्तव में केवल मछली के सेहरा (scales) से प्राप्त होता है।
⦁ यह लिपस्टिक आपके होठों द्वारा पेट में जायेगी तब आपको कोई नुकसान तो नही होगा न, यह जानने के लिए थोड़े बन्दरों को साथ में बिठाकर जबरदस्ती लिपस्टिक के रस को ट्यूब द्वारा उनके गले तक भेजा जाता है। जिससे बन्दरों को इतना दर्द होता है क़ि वे छटपटाने लगते हैं। कितने बन्दर तुरन्त ही मर जाते हैं।
⦁ इसके अलावा लिपस्टिक का परीक्षण करने के लिए चूहों का मुँह खोलकर उनके मसूढ़ों पर उसे मला जाता है और देखा जाता है कि उसका चूहों पर क्या असर हुआ है। क्या उनके मसूढ़ों पर छाले पड़े या नहीं।
⦁ शोध के अनुसार यह बात पता चली है कि अधिकतर लिपस्टिक उत्पादों में सीसा मौजूद होता है। जिसकी थोड़ी सी भी मात्रा यदि आपके दिमाग के संपर्क में आती है, तो वह दिमाग,व्यवहार और सीखने की क्षमता प्रभावित कर सकती है।
⦁ यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, जब एक महिला लिपस्टिक लगाती है और फिर उसे दिन में 2 से 14 बार अप्लाइ करती है तो वह दिन में कम से कम 87मिलीग्राम लिप्स्टिक सोख लेती हैं।



आफ्टरशेव लोशन (Aftershave Lotion) या सुअर का शोषण:-
⦁ आफ्टरशेव लोशन लगाने से जलन न हो, इसके लिए गिनी सुअर(Guinea pig) की चमड़ी को टेप लगाकर छील दिया जाता है। उसके बाल उखाड़ दिए जाते हैं।
⦁ इन छिली हुई चमड़ी पर आफ्टरशेव का छिड़काव करके पता लगाया जाता है कि इससे चमड़ी कितनी जलती है।
⦁ एक ही जानवर को बार-बार ये जुल्म सहना पड़ता है ताकि आपके लिए सही आफ्टरशेव लोशन तैयार हो सके।
⦁ इन तजुर्बों के दौरान कई बार जानवरों की मौत हो जाती है।


कराकुल हैट
क्या आपको कराकुल हैट पहनना पसंद है? मुलायम, घुंघराले कराकुल असल में मेमने के बालों से तैयार होते हैं। वक्त से पहले बच्चा पैदा कराने के लिए मेमने की मां पर लोहे की सरिया से सैकड़ों बार वार किया जाता है। फिर उस वक्त से पहले पैदा हुए मेमने की खाल जिंदा ही उतार ली जाती है, ताकि उसके फर मुलायम ही रहें। ये सब उसकी मां के सामने ही होता है। बच्चों के फर वाले कपड़े हों या आपको ठंड से बचाने वाले फर के कोट, सब इसी प्रकार ही तैयार होते हैं।


क्रीम और मॉइस्चराइज़र
⦁ कुछ क्रीम और लोशन बनाने के लिए Snail(घोंघा) Slime का प्रयोग होता है। यह घोंघा का बलगम है जो कि क्रूर तरीकों से बंदी घोंघे से प्राप्त किया जाता है।
⦁ बाजार में उपलब्ध कई त्वचा क्रीमों में पशु तेल और चर्बी होते हैं। टैलो (Tallow) भेड़ और गायों की चर्बी से आता है। यह अक्सर लोशन और क्रीम में प्रयोग किया जाता है।
⦁ इनमें कई अन्य तेल भी शामिल हैं जैसे- मछली का तेल (मछली के वसायुक्त ऊतक से), मिंक तेल (त्वचा के नीचे की वसा परत से), कछुए का तेल (जननांग ग्रंथियों और समुद्री कछुओं की मांसपेशियों से) आदि।
⦁ अन्य पशु सामग्री में मोम (मधुमक्खी के छत्ते से क्रूरता से प्राप्त) और शाही जेली (पदार्थ मधुमक्खियां अपने लार्वा को खिलाती हैं) शामिल हैं।
मोती की माला या मौत का जाल
कभी आपने सोचा कि आपकी मोतियों की माला कैसे तैयार होती है? सीप के अंदर जब एक कंकड़ के इर्द-गिर्द पेशियों का घेरा बनता है, तो ये घेरा सीप की तकलीफ कम करने के लिए बनता है। इस दर्द से एक मोती तैयार होता है। जब मोतियों का कारोबारी उत्पादन किया जाता है तो सीप की जीभ फाड़कर उसमें कंकड़ घुसाया जाता है। जब तक मोती तैयार नहीं होता, तब तक सीप भयंकर दर्द झेलती है। फिर मोती निकालने के लिए उसे मार दिया जाता है।


मोती की माला या मौत का जाल
कभी आपने सोचा कि आपकी मोतियों की माला कैसे तैयार होती है? सीप के अंदर जब एक कंकड़ के इर्द-गिर्द पेशियों का घेरा बनता है, तो ये घेरा सीप की तकलीफ कम करने के लिए बनता है। इस दर्द से एक मोती तैयार होता है। जब मोतियों का कारोबारी उत्पादन किया जाता है तो सीप की जीभ फाड़कर उसमें कंकड़ घुसाया जाता है। जब तक मोती तैयार नहीं होता, तब तक सीप भयंकर दर्द झेलती है। फिर मोती निकालने के लिए उसे मार दिया जाता है।



बस करो ब्रश!
⦁ आप जानवरों के बाल से बने शेविंग ब्रश, हेयर ब्रश, जूतों के ब्रश, आई लाइनर और रूज के लिए ब्रश इस्तेमाल करते हैं।
⦁ ये सभी ब्रश जानवरो के बालों से बनते हैं। गिलहरियों जैसे जानवरों के बाल उखाड़कर ये ब्रश तैयार करते हैं।
⦁ विग ब्रश सुअर के बाल से तैयार होते हैं।
⦁ अक्सर उसके बाल जिंदा ही उखाड़ लिए जाते हैं। इस दौरान वो दर्द से कराहता रहता है।


चूड़ियों के पीछे की चीख...
⦁ क्या आप हाथी दांत की चूड़ियां पहनती हैं? भले ही हाथियों के मारने पर पाबंदी हो, मगर हाथी दांत के कारोबारी, मरे हुए हाथी के दांत निकाल सकते हैं। इसलिए लोग हाथियों के दांत पाने के लिए उन्हें मार देते हैं।
⦁ इसके लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। कई बार उसके रास्ते में कांटे बिछाए जाते हैं, जिससे हाथी को घाव हो जाता है और वो तड़प-तड़पकर मरता है।
⦁ कई बार हाथी के पसंदीदा फल कटहल में जहर भर दिया जाता है और हाथी उसे खाकर मर जाते हैं। मरे हुए हाथी के दांत निकाल लिए जाते हैं। उसकी खाल उधेड़ ली जाती है।
⦁ हाथी दांत बेचने पर पूरी दुनिया में रोक लगी है। मगर भारत में पाबंदी के बावजूद इसका कारोबार जारी है क्योंकि इसकी भारी मांग है।
आज आधुनिक समय में सौंदर्य प्रसाधन बहुत लुभावने लगते हैं, किंतु जानवरों पर हो रहे इन अत्याचारों को देखकर लगता है, इस प्रौद्योगिकी से महान तो हमारे प्राचीन भारतीय थे, जो प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त होने के साथ- साथ आत्मीय सौंदर्य से परिपूर्ण थे। प्रतीत होता है कि वापस जाने का समय अब आ गया है…